मेघवाल औरतों का आजादी में योगदान: मेघवाल औरतों ने अपने गहने यानी आभूषण गांधीजी को भेंट किये।
2 मई 1921 को गांधीजी कराची में थे और उन्होंने वहां भीमपुरा में मेघवालों की मीटिंग ली, जिसमें मेघवाल औरतों ने अपने आभूषण गांधीजी को समर्पित किये।
यह हमने पहले ही बताया है कि आजादी की लड़ाई में मेघवालों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कई लोग जेल गए और कईयों को सजा हुई। उन की जानकारी बिखरी पड़ी है। उसे इक्कठा कर लोगों के बीच मे लाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढियां उस पर गौरव कर सके।
महात्मा गांधी के कराची और हैदराबाद (पाकिस्तान) के दौरे में मेघवालों ने तन मन धन से सहयोग दिया, उसकी साक्षी उस समय के पत्र पत्रिकाओं में न्यून रूप से है।
भीमपुरा में हुई सभा मे सभी मेघवालों ने गांधी जी को न केवल धन देकर उनके आंदोलन को बल दिया बल्कि मेघवाल औरतों ने भी बढ चढ़ कर अपने सम्पूर्ण गहने गांधीजी को भेंट कर दिए। इसका उल्लेख 'Source Material for a History of the freedom movement in India'
Mahatma Gandhi Vol. 3,
(Khilafat Movement-1920-1921)
Edited by Dr. K. K. Chaudhary
Govt. Of Maharashtra
इस वॉल्यूम के पेज 381 के एक विवरण को ज्यों का त्यों यहां उद्धृत कर रहा हूँ, देखे:-
"Gandhi addressed a meeting of about 1,000 men and 200 women of the depressed classes in
Bhimpura, mostly Meghwars, including some sweepers. Meghwar women also contributed money
and ornaments freely. The visitor, in addition to his usual advice regarding the spinning-wheel and
Swadeshism, exhorted them not to drink liquor or eat meat, and further asked them to unite with
Hindus and Mahommadans. --------" pp381
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